सहसा
आज तुम्हारी आयी याद,
मन में गूँजा अनहद नाद!
बरसों बाद
बरसों बाद!
.
साथ तुम्हारा केवल सच था,
हाथ तुम्हारा सहज कवच था,
सब कुछ पीछे छूट गया,पर जीवित पल-पल का उन्माद!
.
बीत गये युग होते-होते,
रातों-रातों सपने बोते,
लेकिन उन मधु चल-चित्रों से जीवन रहा सदा आबाद!
आज तुम्हारी आयी याद,
मन में गूँजा अनहद नाद!
बरसों बाद
बरसों बाद!
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साथ तुम्हारा केवल सच था,
हाथ तुम्हारा सहज कवच था,
सब कुछ पीछे छूट गया,पर जीवित पल-पल का उन्माद!
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बीत गये युग होते-होते,
रातों-रातों सपने बोते,
लेकिन उन मधु चल-चित्रों से जीवन रहा सदा आबाद!
सुन्दर गीत और कंठ भी मधुर.. आनंद आया सुनकर.
ReplyDeleteसुन्दर प्रयास - मधुर काठ से गीत सुमधुर बन पाया है
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