Saturday, June 12, 2010

गीत में तुमने सजाया ...

गीत में तुमने सजाया ...


गीत में तुमने सजाया रूप मेरा
मैं तुम्हें अनुराग से उर में सजाऊँ !
.
रंग कोमल भावनाओं का भरा
है लहरती देख कर धानी धरा
नेह दो इतना नहीं, सभँलो ज़रा
गीत
में तुमने बसाया है मुझे जब
मैं
सदा को ध्यान में तुमको बसाऊँ !
.
बेसहारे प्राण को निज बाँह दी
तप्त तन को वारिदों-सी छाँह दी
और जीने की नयी भर चाह दी
गीत
में तुमने जतायी प्रीत अपनी
मैं
तुम्हें अपना हृदय गा-गा बताऊँ !

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